हिसार जिले के बारे में

हिसार


स्टील सिटी
स्थापना – 1 नवंबर 1966
  •  मुख्यालय – हिसार
  • उप-मंडल – हिसार, हांसी, बरवाला।
  • तहसील – हिसार, आदमपुर, हांसी, नारनौंद, बरवाला।
  • उप-तहसील – उकलाना मंडी, बालसमंद, बास।
  • खंड – आदमपुर, बरवाला, बास, हांसी प्रथम, हांसी द्वितीय।
प्रमुख उद्योग – कपास छटाई, हैंडलूम, वस्त्र, कृषि यंत्र व सिलाई मशीन।
गुलाना मंडी अपने इलाके की देसी घी की सबसे पुरानी मंडी भी है। यहां की मार्बल चाय, चाय उद्योगों में एक प्रसिद्ध नाम है।

इतिहास
हिसार नगर राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 10 पर स्थित है। इस नगर की स्थापना सन् 1354 ईसवी में तुगलक वंश के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के द्वारा की गई थी। इस बादशाह द्वारा एक किला बनाया गया था जिसके चार द्वार थे। जिन्हें दिल्ली गेट, मोरी गेट, नागोरी गेट और तलाकी गेट कहा जाता था। प्रारंभ में इसका नाम हिसार-ए-फिरोज था। हिसार फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है दुर्ग अथवा किला। अतः हिसार-ए-फिरोज का अर्थ है- फिरोज का दुर्ग। कालाअंतर में हिसार-ए-फिरोज को हिसार के नाम से पुकारा जाने लगा। कहा जाता है कि एक गुजरी के लिए फिरोजशाह ने गुजरी महल बनवाया था जो आज भी विद्यमान है।
सन 1818 में कांग्रेस के इलाहाबाद अधिवेशन में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय हिसार से प्रतिनिधि बन कर गए थे। अंग्रेजों के आगमन से पूर्व जॉर्ज थॉमस ने हिसार में एक पुराने जैन मंदिर को अपने रहने का स्थान बनाया और बाद में वहां मस्जिद बना दी गई। आज उसके निवास को ही जहाज कोठी कहा जाता है। आज हिसार नगर उद्योगिक क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति के कारण उत्तर भारत का स्टील सिटी माना जाता हैा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस नगर में स्थापित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने देश में हरित क्रांति लाने में विशेष योगदान दिया।
सन 1809 में यहां पर कैटल फार्म की स्थापना की गई। हिसार क्षेत्र में स्थापित पशुपालन के विभिन्न संस्थानों के कारण यह नगर विश्व भर में पशुधन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है। यहां एक बड़ी छावनी भी है। हिसार से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अगरोहा नामक कस्बा आज से लगभग 3000 साल पूर्व महाराजा अग्रसेन का राज्य था। अगरोहा में महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज की स्थापना के बाद इस शहर का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है।
खनिज पदार्थ है शोरा यहां का मुख्य खनिज पदार्थ है।

महत्वपूर्ण व्यक्ति
अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल का जन्म जिंदल स्टेनलेस के इंजीनियर गोविंद राय के घर सन् 1958 में हिसार जिले के सिवानी कस्बे में हुआ। इन्होंने सन 1989 में IIT खड़कपुर से मेडिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। मदर टेरेसा और रामकृष्ण परमहंस के आदर्शों से प्रभावित होकर परिवर्तन नाम से एक सामाजिक संगठन खड़ा किया। अन्ना हजारे और अरुण राय सरीखे समर्पित व्यक्तियों के साथ मिलकर सूचना का अधिकार प्राप्त करने के आंदोलन में भी शामिल हुए और परिणाम स्वरुप 2001 में दिल्ली आरटीआई एक्ट तथा सन 2005 में भारतीय आरटीआई एक्ट लागू करवाने में इन्होंने सफलता प्राप्त की।

विद्या देवी जिंदल स्कूल, हिसार
विद्या देवी जिंदल स्कूल छात्रा शिक्षा के लिए उत्तरी भारत का एक विशिष्ट विद्यालय है। जिसकी स्थापना जुलाई सन् 1984 में विख्यात उद्योगपति सांसद एवं समाजसेवी स्वर्गीय श्री ओम प्रकाश जिंदल ने की थी।

गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी
गुरु जंभेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार की स्थापना 20 अक्टूबर सन 1995 में हरियाणा राज्य विधानसभा द्वारा एक एक्ट के तहत की गई। औपचारिक रूप से इसका उद्घाटन 1 नवंबर 1995 को किया गया। विश्वविद्यालय का नामकरण 15वीं शताब्दी के महान पर्यावरणविद् गुरु जंभेश्वर महाराज के नाम पर किया गया।

केंद्रीय भैंस शोध संस्थान
हिसार में बहुत पहले से ही परोजैनी टेस्टिंग बुल फॉर्म कार्यरत था। यह संस्थान प्रजनन हेतु किसानों को अच्छी नस्ल के सांड तथा भैंसा उपलब्ध कराता था। सन 1985 में हरियाणा राज्य सरकार द्वारा इस संस्थान के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को हस्तांतरण के बाद केंद्रीय भैंस शोध संस्थान की स्थापना की गई। परोजैनी टेस्टिंग बुल फॉर्म से केंद्रीय भैंस शोध संस्थान के रूप में पुनर्निर्मित यह संस्थान 1 फरवरी 1985 से कार्य कर रही है। इस संस्थान ने भैंसों में दूध उत्पादन क्षमता बढ़ाने के दिशा में अनेक शोध व प्रयोग किए हैं।

राष्ट्रीय पशु अनुसंधान केंद्र
राष्ट्रीय पशु अनुसंधान केंद्र हिसार-सिरसा मार्ग मार्ग पर स्थित है। इसकी स्थापना सातवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संरक्षण में पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादन मे सुधार के लिए की गई। बीकानेर में स्थित सहायक परिसर अश्वव उत्पादन से संबंधित अनुसंधान कार्य कर रहा है, इसलिए इसको अश्वव उत्पादन परिसर का नाम दिया गया है।

महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल
गुजरी महल
गुजरी महल फिरोज शाह तुगलक द्वारा निर्मित किले का हिस्सा है। कहा जाता है कि शिकार के समय एक रुपसी गुजरी लड़की से सुलताना फिरोजशाह तुगलक के हृदय में प्रेम भाव उत्पन्न हो गया था। गुजरी के अनुरोध पर सुल्तान ने उसके लिए किले से बाहर महल बनवाया था। यह किला संत 1356 ईस्वी में पूर्ण हो गया था। यहां पर एक भूल भुलैया भी स्थित है।

शेख जुनेद की मजार
हिसार के रहने वाले शेख जुनैद भी सूफीसंत परंपरा की एक महत्वपूर्ण कड़ी थे जिनकी मजार नागौरी गेट के दक्षिण में स्थित है।

प्राणपीर बादशाह का मकबरा
वर्तमान राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के पिछवाड़े में सूफी पीर शेर बहलोल का मकबरा स्थित है। ये पीर एक महान सूफी संत हुए हैं, जिन्होंने गयासुद्दीन तुगलक के बारे में भविष्यवाणी की थी कि वह दिल्ली के सिंहासन पर बैठ हिंदुस्तान पर शासन करेगा।

लाट बाग
लाट बाग दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय मार्ग 10 पर थॉमस चर्च के सामने स्थित है। सन् 1857 के विशाल विद्रोह से पहले यह चर्च, सड़क के पार कंपनी बाग था। सन् 1857 के विद्रोह के दौरान हांसी और हिसार में भारतीयों द्वारा मारे गए कुछ यूरोपियन जिनमें हिसार का कलेक्टर जान रे डरबन भी था, की याद में एक समारक के तौर पर विकसित हुआ। यहां निर्मित सतंभ के चारों ओर इन सभी लोगों के नाम उत्किरण हैं। यह स्तंभ आज भी इस बाग मे लाट की तरह खड़ा है। अतः इसे लाट बाग भी कहा जाने लगा। कालांतर में इसका नाम क्रांतिमान पार्क रख दिया गया।

जहाज कोठी
यह एक एसी जगह है जहां जार्ज थामस द्वारा एक निवास के रूप में प्रयुक्त की जाती थी। जार्ज की कोठी होने के कारण देहाती लोगों द्वारा इसे जहाज उर्फ जहाज की कोठी कहा जाने लगा। अब यह भवन हिसार जैन समाज के अधीन है और इसका नाम श्री दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर है।

बाबा लालदास धाम
हिसार जिले के गांव डाटा में श्रीशाला डेरी गौशाला के पास स्थित बाबा लालदास धाम में हर रोज श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है।

आर्य समाज मंदिर
हिसार शहर के नागौरी गेट के समीप स्थित आर्य समाज मंदिर की स्थापना लाला लाजपत राय, पंडित लखपतराय बाबू, चूड़ामणि, और तायल बंधुओं, चंदूलाल, हरिलाल और बालमुकुंद गुप्त आदि के द्वारा सन 1886 में कि गई। लाला लाजपत राय 1 वर्ष के लिए इसके संस्थापक सचिव भी बने थे।

दिगंबर जैन मंदिर
हिसार की मील रोड पर स्थित प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना है।

शीलनाथ का डेरा
हिसार जिले के गांव सुल्तानपुर में स्थित ईस डेरे को साधुओं की तपोभूमि के रूप में भी जाना जाता है। यहां कई साधुओं की समाधियां भी स्थित हैं।

देवी भवन मंदिर
हिसार के श्री देवीधाम को मंदिरों की संगम स्थली भी कहा जाता है। श्री देवीलाल मंदिर की शुरुआत वर्ष 1770 में महाराजा पटियाला द्वारा मंदिर का निर्माण करवाने से शुरू हुई थी।

बिश्नोई मंदिर
हिसार में राजगुरु मार्केट के पास स्थित बिश्नोई मंदिर एक भव्य मंदिर है।
इनके अलावा बाबा शेरगिरी मंदिर (कँवारी) और माँ शिला दे मंदिर (अगरोहा) भी हिसार में स्थित हैं

बुआ कुंवारी मंदिर
यह मंदिर गांव कँवारी में प्रवेश करते ही दिखाई देता है। यह एक छोटा सा मंदिर है जिसे सती बुआ कुंवारी की मडी अथवा थान भी कहा जाता है। यही वह स्थल है जहां एक कुंवारी कन्या सती हुई थी और उसी के नाम पर इस गांव का नाम कुंवारी रख दिया गया।

सेंट थॉमस चर्च
सेंट थॉमस चर्च दिल्ली-हिसार मार्ग पर पुरानी कचहरी के नजदीक स्थापित है, आजकल यह एक ऐतिहासिक स्मारक घोषित है।  3 दिसंबर 1865 को बीसप आफॅ कोलकाता जी.ई.एन. काटन द्वारा इसे प्रतिष्ठित किया गया। यह चर्च विक्टोरियन कला की वास्तुकला का एक अनूठा उदाहरण भी है।

चार कुतुब दरगाह
चार कुतुब दरगाह का अर्थ है वह विद्वान जो समाज का मार्गदर्शन करें और लोगों को सही दिशा प्रदान करें। हांसी में स्थित ईन चार कुतुब दरगाह में निम्नलिखित चार सूफी संतों की मजार है। वह चार संत इस प्रकार हैं।-
  1. शेख कुतुब जमालुद्दीन अहमद (1188-1263)
  2. शेख कुतुब मौलाना बुरहानुद्दीन (1261-1300)
  3. शेख कुतुबुद्दीन मुनव्वर (1352)
  4. हजरत कुतुबुद्दीन नूरुद्दीन (1325-1397)

मीरा साहब की मजार
हांसी के प्राचीन दुर्ग के ऊपर उत्तर दिशा में स्थित बाबा मीरा साहब की मजार लगभग 800 वर्ष पुरानी है। बाबा मीरा साहब का पूरा नाम हजरत नियमित उल्लाह वली उर्फ मीरां साहब था।

प्रमुख उद्योग
  • कपास छटाई,
  • हैंडलूम,
  • वस्त्र,
  • कृषि यंत्र व सिलाई मशीन।
  • गुलाना मंडी अपने इलाके की देसी घी की सबसे पुरानी मंडी भी है।
  • यहां की मार्बल चाय, चाय उद्योगों में एक प्रसिद्ध नाम है।

हिसार जिले के प्रसिद्ध मेले
  • 1)देवी का मेला,
  • 2) गोगा नवमी का मेला,
  • 3) शिव मेला,
  • 4) समाधि मेला ,
  • 5)काली देवी मेला,
  • 6) अग्रसेन जयंती मेला,
  • 7) हनुमान जयंती मेला,
  • 8)दादी गोरी मेला,
  • 9) खाटू श्याम मेला,
  • 10) किसान मेला,
  • 11)सच्चा सौदा मेला,
  • 12)शीतल माता मेला
नेशनल हाईवे – NH – 10 व 65