अंबाला जिले के बारे में

अंबाला



  • क्षेत्रफल – 1574 वर्ग किलोमीटर
    स्थापना – 1 नवंबर 1966
    उप-मंडल – अंबाला, नारायणगढ़, बराड़ा
    तहसील – अंबाला, बराडा, नारायणगढ़,
    उप-तहसील – अंबाला छावनी, साहा, मुलाना, शाहजहांपुर
    खंड – अंबाला, अंबाला-II, बराड़ा, नारायणगढ़, सहजादपुर, साहा।

इतिहास
अंबाला शहर का नाम अंबाला पडने के कई कारण हैं। जिनमें से कुछ कारण इस प्रकार से है:-
1) इस नगर की स्थापना 14वीं शताब्दी के अंबा राजपूत के द्वारा की गई थी, जिससे इस शहर का नाम अंबाला पड़ा।
2) एक अन्य धारणा के अनुसार इस नगर का नाम अंबा भवानी देवी के नाम पर पड़ा था। जिसका मंदिर नगर में अब भी स्थित है।
3) इस अन्य धारणा यह भी है कि यहां आम की पैदावार अधिक होती है इसलिए इसे अंबवाला कहा जाता था जो अब बिगड़ कर अंबाला बन गया।
अंबाला को आर्यों ने अपना स्थाई निवास बनाया था। मध्य काल के दौरान अंबाला का निकटवर्ती स्थान सरूधना देश की राजधानी रहा है। बादशाह अकबर के शासनकाल में अंबाला दिल्ली सुबे की सरहिंद सरकार का एक छोटा सा परगना था। नगर अंबाला एक रियासति मुख्यालय था। ईस रियासत की स्थापना संगतसिंह ने सन 1763 में की थी।
1842 में अंबाला को शिमला के अधीन किया गया था। सन 1843 में करनाल से यह छावनी लाई गई। वायसराय केनिंग ने जनवरी 1860 में यहां पर दरबार लगाया, तब यहां पर डाक की सुविधा शुरू हुई थी। दिल्ली और ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के रास्ते होने के कारण यह 1880 में अंबाला को रेलवे लाइन से जोड़ा गया था।
जिले के रूप में अंबाला का गठन अंग्रेजों के शासनकाल मे 1847 में हुआ था और इस समय इसकी 6 तहसीलें बनाई गई थी। अंबाला, जगाधरी, रोपड़, खरड, नारायणगढ़ और नालागढ़।
नालागढ तहसील का हिमाचल प्रदेश में विलय कर दिया गया। इस जिले के दक्षिण में ज़िला कुरुक्षेत्र है और पूर्व में औद्योगिक नगर यमुनानगर है और पश्चिम में पंजाब का पटियाला स्थित है। उत्तर में अरावली की पहाड़ियां और पंचकूला जिला स्थित है। यह जिला राज्य तथा देश की राजधानी के राष्ट्रीय राजमार्ग 1 से जुड़ा हुआ है।
सन 1959 में पंजाब प्रशासन के द्वारा बनाए गए जिले एवं मंडल का मुख्यालय बनने के कारण अंबाला प्रसिद्ध हो गया। 1 नवंबर 1989 को अंबाला जिले से जगाधरी उप-मंडल को अलग कर दिया गया। मिक्सी उद्योग और वैज्ञानिक उपकरणों के बल पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अंबाला का एक विशेष स्थान आज भी कायम है। अंबाला मिक्सी ग्राइंडर, वैज्ञानिक उपकरण और इंजीनियरिंग संबंधी उपकरणों का बड़े पैमाने पर निर्माण के लिए एक औद्योगिक नगर के रूप में जाना जाता है।
अंबाला छावनी में तैनात हिंदुस्तानी सैनिकों ने 10 मई 1857 को विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया था।
अंबाला कैंट उत्तरी भारत का सबसे बड़ा रेलवे जंक्शन भी है।

नारायणगढ़
इस कस्बे को सिरमौर के राजा लक्ष्मी नारायण ने बनवाया था। मुगल साम्राज्य के पतन के पश्चात सिरमौर के राजा ने कुलसन में एक किला बनवाया था और इसका नाम नारायणगढ़ रखा था। इस कारण इस कस्बे का नाम नारायणगढ़ प्रचलित हो गया। 1766 में अहमद शाह अब्दाली ने इस रियासती मुख्यालय पर कब्ज़ा करके मुहम्मद बक्र को सौंप दिया था, जिसने मिर्जा सिंह को इसका प्रबंधन बनाया था।
यहां के गांव बनोंदी में स्थापित शुगर मिल से भी इस क्षेत्र के गन्ना किसानो को काफी लाभ प्राप्त हुआ है।
महत्वपूर्ण स्थल
प्रसिद्ध गायिका जोहराबाई अंबाला से संबंध रखती हैं।
प्रमुख नदियां – मारकंडा, टांगरी और घग्घर यहां की प्रमुख नदियां हैं
महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय, मुलाना – महर्षि मार्कंडेश्वर एजुकेशन ट्रस्ट की स्थापना तरसेम कुमार गर्ग के प्रयासों से सन् 1993 में हुई थी। ईस ट्रस्ट के द्वारा सन 1995 में एम. एम. इंजीनियरिंग कॉलेज भी प्रारंभ किया गया था। वर्ष 2007 में इस संस्थान में महर्षि मारकंडेश्वर विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त किया था। यह राज्य का प्रथम स्वपोषित विश्वविद्यालय है।
गुरुद्वारा लखनौर साहिब – अंबाला-सिखों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी की माता का जन्म स्थान होने के कारण इस गांव को गुरु गोविंद सिंह का ननिहाल होने का गौरव प्राप्त है। लखनौर साहिब का प्राचीन नाम लखनावती, लखनपुर और लखनौती इत्यादि के रूप में दर्ज है।
अंबिका देवी मंदिर – अंबाला शहर के मंदिरों में अंबिका देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। मान्यता है कि द्वापर में कौरवों और पांडवों के समय अंबा, अंबिका और अंबालिका की याद में मां भवानी का यह मंदिर बनवाया गया था।
दरगाह नौगजा पीर – अंबाला-शाहबाद मार्ग पर अंबाला से 12 किलोमीटर दूर स्थित बाबा नौगजा पीर की दरगाह एक दर्शनीय स्थल है।
सेंट पॉल चर्च – इस चर्च का निर्माण जनवरी 1857 मे हुआ था, जो भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान 1965 में नष्ट हो गया था।
किंग फिशर – दिल्ली-अंबाला-अमृतसर हाईवे पर स्थित किंगफिशर एक बहुत ही आकर्षक और सुंदर पर्यटक स्थल है।