रेवाड़ी जिले के बारे में

रेवाड़ी 


स्थापना – 1 नवंबर 1989
  • उप-मंडल – रेवाड़ी, कोसली व बावल।
  • तहसील – रेवाड़ी, बावल, व कोसली।
  • उप-तहसील – धारूहेड़ा, डहिना, मनेठी, नाहड।
  • खंड – रेवाड़ी, खोल, जाटूसाना, नाहड, व बावल।

प्रमुख नदी साहिब (यह रेवाड़ी के पूर्वी भाग में बहती है)

इतिहास
भगवान श्री कृष्ण के समसामयिक और उसके अग्रज बलराम के ससुर रेवत नामक राजा ने अपनी पुत्री रेवती के नाम पर इस नगर का नाम रेवतवाड़ी रखा था, जो बाद में बिगड़कर रेवाड़ी बन गया। रेवाड़ी नगर को सर्वप्रथम ऐतिहासिक पटल पर लाने का श्रेय वीर हेमू हो जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री राव वीरेंद्र सिंह, राव तुला राम के वंशज हैं। पीतल नगरी के रूप में रेवाड़ी का जो ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हुई है, उसका श्रेय यहां के हस्तशिल्प कारों को ही जाता है।

राव तुलाराम
रेवाड़ी के स्वतंत्रता सेनानी राव तुलाराम का जन्म 9 दिसंबर सन 1825 को रेवाड़ी के राव पूर्ण सिंह के घर में हुआ था। सन 1839 में पिता की मृत्यु के बाद ये पैतृक जागीर के स्वामी बने। 1857 की क्रांति का बिगुल बजते ही बादशाह बहादुरशाह के नेतृत्व में अंग्रेजी राज्य के सब चीज मिटाने के लिए लग गए और रेवाड़ी पर स्वतंत्रता की पताका फहरा दी।

बावल
इस क्षेत्र में अनेक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी औद्योगिक इकाइयां स्थापित कि हैं, जिनमें मारूति, कपारो, व्हील्स इंडिया, एक्साईड, असाही इंडिया, वाई.के.के, मुसासी, नैरोलेक, बैकि्टन डिक्शन, मिंडा आदि प्रमुख हैं।

धारूहेड़ा
रेवाड़ी जिले के कुंड क्षेत्र के स्लेट-पत्थर ने भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। हरियाणा बनने के बाद यह कस्बा चर्चा में तब आया जब यहां सहगल पेपर मिल की स्थापना हुई थी, जिसमें बहुत सारा धन सरकारी ऋण से लिया गया था और यह इकाई असफल हो गई थी और सारा सरकारी रुपया डूब गया था।

रेवाड़ी रूरल
इस शहर के आस-पास के क्षेत्र को जंगल की जागीर के नाम से भी जाना जाता था, जिसका प्रबंधक सम्राट हुमायूं ने तिजारा के रूडाराम को बनाया था। उसने घड़ी बोलनी के स्थान पर सैनिक ठिकाना स्थापित कर के एक छोटे से किले का निर्माण करवाया था। इस बोलनी गांव का एक ही सपूत राव नंदराम 18 वीं सदी के प्रारंभ में रेवाड़ी सरकार का हकीम बना था। जिसने नंदरामपुरा और धारुहेड़ा नामक गांव बसाए थे।
बीकानेर गांव के अल्हड़ बीकानेरी देश के मशहूर कवि थे। मसानी गांव के पास एनएच 8 पर साहिब नदी पर मसानी बैराज का निर्माण किया गया है।

इब्राहिम 12 हजारी की मस्जिद
इब्राहिम 12 हजारी मोहम्मद गौरी का एक जनरल था। उसने रेवाड़ी के चौहान सरदार को हराकर यहां मुस्लिम धर्म का अधिपत्य कायम किया था।

लाल मस्जिद
रेवाड़ी की पुरानी कचहरी के समीप एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक मस्जिद स्थित है। इसका निर्माण अकबर के शासनकाल में सन 1570 के आसपास किया गया था।

रानी की ड्योडी
रेवाड़ी जिले में स्थित रानी की ड्योडी भी हरियाणा की प्राचीन और ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इस ड्योडी का निर्माण सन 1675 में राव नंदराम सिंह ने करवाया था।

रामपुरा महल
यह एक भव्य महल है जो राव तेज सिंह ने 1801 में बनवाया था।

कानोंट दरवाजा
यह भव्य दरवाजा नंद सागर और रानी की ड्योडी का समकालीन है। इसे राव नंदराम ने बनवाया था। पत्थर, इट और चूने से बना यह दरवाजा अहिरवालिए भवन निर्माण कला का एक सर्वश्रेष्ठ नमूना है।

घंटेश्वर महादेव मंदिर
घंटेश्वर महादेव मंदिर रेवाड़ी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में सनातन धर्म के सभी देवी देवताओं की पूजा की जाती है।

मुफ्ती निजामुद्दीन
मुफ्ती निजामुद्दीन रेवाड़ी में कुतुबपुर के रहने वाले थे। 1857 की क्रांति के दौरान राजा राव तुलाराम की सेना की पलटन नंबर 1 एड्ज्यूटेंट थे। अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए नसीबपुर के युद्ध में 16 नवंबर को यह वीरगति को प्राप्त हुए।

प्रथम सी.एफ.एल. गांव
रेवाड़ी जिले में बिनौला, देश का पहला सी.एफ.एल. गांव है। इस गांव के प्रत्येक घर में सामान्य बल्ब के स्थान पर सी.एफ.एल. बल्ब लगाए गए हैं।

बाघ वाला तालाब
यह तालाब पुरानी तहसील के पास स्थित है। इसका निर्माण राव गुर्जर के पुत्र अहिर ने कराया था लेकिन यह अब पूरी तरह से सूखा हुआ है।