चरखी दादरी जिले के बारे में

चरखी दादरी


इतिहास – चरखी दादरी को अलग से जिले बनाने की घोषणा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के द्वारा एक रैली के दौरान की गई थी। जिसके बाद चरखी दादरी की स्थापना 18 सितंबर 2016 को की गई।
चरखी दादरी का नाम चरखी दादरी रखने के अनेक कारण हैं। जिनमें से कुछ कारण इस प्रकार हैं –
कुछ लोगों का मत है कि चरखी गांव जुड़े होने के कारण इस शहर का नाम चरखी दादरी रखा गया है।
एक अन्य लोक कथा के अनुसार इस नगर के नाम की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द दादुर से मानी जाती है। दादुर का अर्थ है – मैंढक
ईस नगर की स्थापना से पूर्व यहां एक विशाल झील थी और उसमें बहुत अधिक दादुर (मैंढक) रहते थे। कालांतर में यह दादुर से चेंज हो कर दादरी हो गया। अतः इस जगह का नाम दादरी पड़ गया।
सन 1839 में सेठ रामकृष्ण डालमिया ने चरखी दादरी में एक सीमेंट फैक्ट्री स्थापित कर महाराजा जींद से चरखी दादरी का नाम बदलवाकर डालमिया दादरी करवा दिया था।
सन 1958 में इस क्षेत्र की जनभावना को देखते हुए तत्कालिक सांसद रामकृष्ण गुप्ता ने संसद मे दादरी के नामकरण परिवर्तन का मुद्दा पूरे जोर-शोर से उठाया था। उनके प्रयासों से डालमिया दादरी का नाम पुनः चरखी दादरी नाम रख दिया गया।
जिसकी घोषणा तत्कालिक केंद्रीय रेल मंत्री शाहनवाज खाँ ने ईस क्षेत्र के दौरे के दौरान की थी। जो सीमेंट फैक्ट्री कभी चरखी दादरी की पहचान हुआ करती थी, बाद में उसका अधिग्रहण सी.सी.आई मे कर लिया गया। किंतु यह विशाल सीमेंट फैक्ट्री अब बंद हो चुकी है।
सन 1857 में जींद के राजा ने अंग्रेजों की भरपूर मदद की थी, इसलिए 1858 में दादरी को उन्हे इनाम के रूप में दे दिया गया। ईसी कारण सन 1864 में दादरी की जनता ने राजा के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
चरखी दादरी हरियाणा के दक्षिणी भाग में स्थित है। चरखी दादरी राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 148 B पर स्थित है जो कि नारनोल से भटिंडा की तरफ जाता है।
यह हमारे देश की राजधानी दिल्ली से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
यह दिल्ली से रेलवे तथा सड़क दोनों संचार साधनों से जुड़ा हुआ है।
रोहतक के बाद चरखी दादरी हरियाणा का दूसरा ऐसा जिला बन गया है जिसकी सीमा हमारे देश के किसी भी राज्य से नहीं लगती है।
पीर मुबारक शाह की दरगाह चरखी दादरी के कलियाणा गांव में स्थित है और चरखी दादरी के कल्याणा गांव में ही हरियाणा राज्य में मिलने वाला एकमात्र पत्र हिलना पत्थर भी पाया जाता है।
पूर्व सांसद स्वर्गीय राम किशन गुप्ता ने चरखी दादरी में एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना की थी।
चरखी दादरी में कंप्यूटर प्रबंधक के लिए केदारनाथ अग्रवाल इंस्टिट्यूट, JVMGRR संस्थान सहित अन्य कई शिक्षण संस्थाएं स्थापित की गई हैं। इसके अलावा दादरी में ए.पी.जे स्कूल, डी.आर. आदर्श विद्या मंदिर, वैश्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल सहित बहुत सारे अच्छे शिक्षण संस्थान भी स्थित हैं।
चंद्रावती हरियाणा की एक प्रमुख अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। इनका जन्म सन 1928 को चरखी दादरी के दालावास गांव में हुआ था।
कुछ अन्य पर्यटक स्थल
चरखी दादरी के नजदीक कपूरी की पहाड़ी भी एक काफी महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है। जहां पर एक शिव मंदिर और एक आश्रम स्थित है।
यहां पर डेरंगो नामक पर्यटक स्थल भी स्थित है।
इमलोटा – इमलोटा में फाल्गुन मास की दशमी को हनुमान जी का मेला लगता है। जिसमें आस-पास के गांवों के लोग यहां पर दर्शन करने पहुंचते हैं।
रमणीक डेरे – दादरी शहर के आस-पास भी अनेक साधु संतों ने रमणी के डेरे एवं धार्मिक स्थल हैं ।दादरी से 3 किलोमीटर दूर कपूरी पहाड़ी पर बाबा मुखरामनाथ और अन्य संतों की समाधियां स्थापित की गई हैं।
चरखी दादरी से संबंधित कुछ प्रमुख खिलाड़ी
गीता फोगाट
बबीता फोगाट
प्रियंका फोगाट
रितु फोगाट
विनेश फोगाट
संगीता फोगाट
यह सभी चरखी दादरी के बलाली नामक गांव से संबंधित है और इन सभी को महावीर फौगाट के द्वारा प्रशिक्षित किया गया है।
गीता फोगाट कुश्ती की एक फ्रीस्टाइल पहलवान है। उन्होंने सन 2010 में दिल्ली में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम में गोल्ड मेडल जीता हुआ है। इन्हीं की बहन का नाम बबीता फोगाट है। यह भी एक रेसलर हैं।
गीता और बबीता फोगाट के ऊपर आधारित आमिर खान की प्रसिद्ध फिल्म दंगल भी बनाई गई है। जिसमें इन दोनों बहनों के जीवन को काफी अच्छे से फिल्माया गया है। गीता फोगाट के पिताजी का नाम महावीर फोगाट है। इन्हीं के द्वारा ही इन्होंने रेसलिंग का प्रशिक्षण लिया है। गोल्ड मेडल जीतने के बाद गीता फोगाट को हरियाणा पुलिस के अंदर डी.एस.पी के पद पर नियुक्त किया गया है।
इसके अलावा रामलाल भी चरखी दादरी के एक प्रसिद्ध पर्वतारोही हैं। जिन्हें हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया है।
चिड़िया, बाढड़ा प्रमुख नगर हैं।