मेवात (नूँह)
स्थापना – 4 अप्रैल 2005
- मुख्यालय – नूँह
- उप-मंडल – फिरोजपुर, झिरका, नूँह।
- तहसील – फिरोजपुर, झिरका, नूँह, पुन्हाना, तावडू।
- उप-तहसील – नगीना
- खंड – फिरोजपुर, झिरका, पुन्हाना, नगीना, नूँह और तावडू।
लिंगअनुपात:- इस जिले में हरियाणा का सबसे अधिक लिंगानुपात है। 907/1000
इतिहास
हरियाणा के तत्कालिक मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने 2 अक्टूबर 2004 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर राज्य के 20वे जिले की घोषणा की थी। उस समय इस जिले का नाम सत्यमेवपुरम रखा गया था। इस जिले का मुख्यालय नूँह में बनाया गया था। भारत की स्वतंत्रता पर बटवारे के समय मेवात की बहुसंख्यक मुस्लिम जनता जब भारत छोड़कर पाकिस्तान जा रही थी, तब महात्मा गांधी ने उन्हें रोकते हुए समान व्यवहार, संपूर्ण सुरक्षा और विकास की पूरी गारंटी दी थी। यह क्षेत्र आज भी पूरे देश में सबसे अधिक पिछड़ा हुआ है। गांधीजी का नारा था सत्यमेव जयते, इसी का अनुसरण करते हुए हरियाणा के 20वें जिले का नाम सत्यमेवपुरम रखा गया। वर्ष 2005 में कांग्रेस सरकार के गठन के पश्चात ईस जिले का नाम मेवात रखा गया। 4 अप्रैल 2005 को गुड़गांव और फरीदाबाद जिलों में से कुछ भाग अलग कर मेवात जिले के हिस्से बना दिए गए। यह हरियाणा का 20वां जिला है। नूँह को मेवात जिले का मुख्यालय बनाया गया है। मेवात जिले का अधिकतर भाग समतल है। मेवात का कुछ भाग अरावली की पहाड़ियों से सटा हुआ है। यहां रहने वाले अधिकतर लोग मेव या मुस्लिम हैं। मेवात में आई.टी.सी द्वारा संचालित गोल्फ कोर्स मशहूर है। इसके अलावा जयपुर हाईवे पर स्थित रिसोर्ट कंट्री क्लब भी यहां का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। समाजिक व आर्थिक रुप से यह क्षेत्र हरियाणा राज्य का सबसे अधिक पिछड़ा हुआ क्षेत्र माना जाता है। सन् 1980 में हरियाणा सरकार ने इस क्षेत्र के विकास के लिए वचनबद्ध होकर मेवात विकास बोर्ड का गठन किया।
महत्वपूर्ण स्थल
चूहीमल तालाब
पहले यह तालाब कच्चा था। वर्षाकाल में काला पहाड़ की छाती से बहकर आने वाली विशाल जलराशि को देखते रहने की नूँह वासियों की सदियों पुरानी परंपरा उस समय सजीव हो उठी, जब सेठ चूहीमल ने नूँह के पश्चिम में पहाड़ के नीचे 10 बीघा जमीन के दाम चुका कर उसे तालाब के इस्तेमाल के लिए खरीद लिया था। उनके जीवनकाल में ही उनके पुत्र हुकमचंद ने अपने पिता की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए तालाब को पक्का करवाया और वही निकट ही एक कलात्मक छतरी भी बनवाई। कारीगरों ने इस तालाब के पक्के निर्माण में कुछ ऐसा वास्तुशिल्प दिखाया है कि यह निर्माण बेजोड़ सा प्रतीत होता है।
काउंटी क्लब गोल्फ कोर्स
गांव पांड़ा तावडू में स्थित काउंटी क्लब बेस्ट वेस्टर्न द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। यहां पर देश-विदेश के कॉफी पर्यटक आते हैं। यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का गोल्फ कोर्स है।
कोटला झील
कोटला झील मेवात की ही नहीं बल्की एशिया की सबसे बड़ी झील मानी जाती है। इस झील के विहंगम दृश्यों के बारे में मुगल बादशाह बाबर ने बाबरनामा में भी उल्लेख किया है।
शेख मूसा की मजार
मेवात की धरती पीर-फकीरों तथा ऋषि-मुनियों की कर्म स्थली भी रही है। हजरत शेख मूसा का संबंध ईरान से बताया जाता है। वह दिल्ली के प्रसिद्ध सूफी हजरत निजामुद्दीन औलिया के मुरीद थे। हजरत शेख मूसा की दरगाह पल्ला गांव में पहाड़ी की तलहटी में है। यह दरगाह मुगल बादशाह अकबर ने बनवाई थी।
तावडू का किला
तावडू नामक ग्राम में स्थित ईस प्राचीन किले के विभिन्न कक्षों, उप-कक्षों तथा अन्य स्थलों से तावडू के इतिहास की जानकारी मिलती है। इस किले के चारों ओर ऊंची-ऊंची दीवारें बनी हुई हैं। यही किला बाद में राजा नाहर सिंह का किला बना। इस समय तावडू स्थित इस किले को वहां का थाना बना दिया गया।
तावडू के गुंबद
तावडू की पश्चिम दिशा में जगह-जगह अनेक गुंबद बने हुए हैं। क्षेत्र के लोगों की दृड मान्यता है कि ये गुंबद मुगलकालीन शासन में बने थे। अपने समय में इनका बहुत बड़ा महत्व था। इन गुंबदों में पुख्ता कबरें मौजूद हैं।
मेवात में लचीले खिलौने बनाने का प्रशिक्षण व उत्पादन केंद्र
आईPMT कोलकाता (खिलौना बनाने का प्रौद्योगिकी संस्थान) लचीले खिलौने बनाने के प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक अनुभवी संगठन है।
मेवात साक्षरता की दृष्टि से हरियाणा का सबसे पिछड़ा हुआ जिला है। हरियाणा का पहला चल न्यायालय भी मेवात में ही स्थित है। यहां पर गांधी पार्क प्रमुख पर्यटक स्थल है