हरियाणा एक नजर में
ब्यौरे | विवरण |
---|---|
क्षेत्रफल | 44,212 वर्ग किलोमिटर |
जनसंख्या | 2,53,53,081 * |
राजधानी | चंडीगढ़ |
मुख्य भाषा | हिंदी |
हरियाणा का इतिहास
हरियाणा का इतिहास बड़ा गौरवपूर्ण है और यह वैदिक काल से आरंभ होता है। यह राज्य पौराणिक भरत वंश की जन्मभूमि माना जाता है जिसके नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। हमारे महान महाकाव्य महाभारत में हरियाणा की चर्चा हुई है। भारत की राजधानी बनने से पहले तक भारत के इतिहास में मुसलमानों के आगमन और दिल्ली के भारत की राजधानी का एक हिस्सा बन गया और 1857 में स्वतंत्रता के प्रथम महासंग्राम से पूर्व तक यह गुमनाम बना रहा। सन् 1857 के विद्रोह को कुचलने के बाद जब ब्रिटिश प्रशासन फिर से स्थापित हुआ तो झज्झर और बहादुरगढ़ के नवाबों, बल्लभगढ़ के राजा तथा रिवाड़ी के राव तुलाराम की सत्ता छीन ली गई। उनके क्षेत्र या तो ब्रिटिश क्षेत्रों में मिला लिए गए या पटियाला, नाभा और जींद के शासकों को सौंप दिए गए। इस तरह हरियाणा पंजाब प्रांत का हिस्सा बन गया। एक नवंबर, 1966 को पंजाब के पुनर्गठन के बाद हरियाणा पूर्ण बन गया।
हरियाणा का भूगोल
हरियाणा के पूर्व में उत्तर प्रदेश, पश्चिम में पंजाब, उत्तर में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में राजस्थान है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली हरियाणा से जुड़ा है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के दायरे में हरियाणा भी है।
कृषि हरियाणा की 56 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या की जीविका का आधार कृषि है और राज्य के सकल घेरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26.4 प्रतिशत है। खाद्यान्न, जो हरियाणा के राज्य के समय 25.92 लाख टन था, वर्ष 2008-09 में बढ़कर 155.08 लाख हो जाने का अनुमान है क्योंकि ज्यादा फसलें बोई जार रही हैं और मुख्य फसलों का उत्पादन बढ़ रहा है। चावल, गेहूं, ज्वार, मक्का, जौ, गन्ना, कपास, दलहन, तिलहन और आलू राज्य की प्रमुखता से उगाई जाने वाली फसलें हैं। सूरजमुखी तथा सोयाबीन, मूंगफली तथा बागवानी को भी विशेष प्रोत्साहन दिया जा रहा है। राज्य में गहन और विस्तृत खेती को बढ़ावा देने के प्रयास जारी हैं। मृदा उर्वरता रखने के लिए ढेंचा, मूंग को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
सूचना प्रौद्योगिकी
दुनिया भर में चल रही वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्व को देखते हुए हरियाणा सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी की नई व्यापक नीति तैयार की है ताकि राज्य नई सदी में विकास की ओर अग्रसर हो। इसके अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी, आई.टी. ई.एस./बी.पी.ओ. उद्योग को प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। सरकार ने हाल ही में टेक्नोलॉजी पार्को के लिए भी एक नीति घोषित की है। इस नीति का उदृदेश्य सूचना प्रौद्योगिकी को नैनो प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, मोबाइल कंप्यूटिंग और रोबोटिक्स से जोड़ना है। राज्य सरकार टेक्नोलॉजी पार्क, साइबर सिटी तथा आईटी कॉरीडोर की स्थापना के लिए लाइसेंस जारी कर रही है। फरवरी 2007-अप्रैल 2008 तक ऐसी 72 परियोजनाओं को सैद्धंतिक मजूरी दी गई, इससे लगभग तीन लाख आईटी पेशेवरों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा गुड़गांव को सूचना प्रौद्योगिकी और आई.टी.ई.एस./बी.पी.ओ. दोनों कंपनियों के लिए वरीयता प्राप्त निवेश गंतव्य के रूप में विकसित किया गया है। अब गुड़गांव भारत में कारपोरेट दुनिया की योजना बना रही है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी/आई.टी.ई.एस./बी.पी.ओ. होंगे जो विश्वस्तरीय सुविधाएं प्रदान करेंगे। गुड़गांव के अलावा, सरकार कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस हाईवे और फरीदाबाद के पास के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के क्षेत्रों को विकसित करने पर विचार कर रही है। ये गुड़गांव-मानेसर मेगा आई.टी. हब के उपग्रह का काम करेंगे। वर्ष 2007-08 में लगभग 18000 करोड़ रुपए के सॉफ्टवेयर का निर्यात हुआ।
सरकार राज्य भर में ई-दिशा एकल सेवा केंद्र के नाम से 1,159 ग्रामीण और 104 शहरी सामान्य सेवा केंद्र स्थापित कर रही है। स्थापना का काम शुरू किया जा चुका है। ग्रामीण क्षेत्रों में 100 प्रतिशत औरा शहरी क्षेत्रों में 67 प्रतिशत काम हो चुका है। अस समय कंप्यूटर प्रशिक्षण, ई’टिकटिंग, मोबाइल रिचार्ज, जाब प्लेसमेंट सेवा, इंटरनेट सार्फिग, डी.टी.पी. जैसी बिजनेस (बी2सी) सेवाएं इन केंद्रों से दी जा रही है सरकार इन केद्रों से बस के पास, बिजली के बिल वसूलने, नकल (भूमि रिकार्ड) जारी करने अनु. जाति/पिछड़ी जाति/निवास जन्म/मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने और नए राशन कार्ड जारी करने जैसे गवर्मेंट टु सिटिजन्स (जी 2सी) सेवाएं प्रदान करने पर विचार कर रही है।
राज्य सरकार अपने कर्मचारियों की शत-प्रतिशत कंप्यूटर साक्षरता के लिए आईटी साक्षरता योजना शुरू कर रही है। इसके तहत मुख्यालय तथा जिला मुख्यालय में आईटी प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित की गई है। अब तक लगभग 24000 कर्मचारियों को प्रतिक्षण दिया जा चुका है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार ने राज्य के शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में महिलाओं तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को कंप्यूटर प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए 44.36 लाख रुपए के प्रस्ताव की मंजूरी दी है। इस कार्यक्रम के तहत दस जिलों में 800 महिलाओं/बलिकाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया गया।
उद्योग
हरियाणा का औद्योगिकी आधार विशाल है राज्य में 1,343 और मंझोली तथा 80,000 लघु उद्योग इकाइयां हैं। हरियाणा में हर चीज का उत्पादन होता है। हरियाणा कारों, ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों, साइकिलों, रेफ्रिजरेटरों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि का सबसे बड़ा उत्पादक है।
हरियाणा विश्व बाजार में बासमती चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है। पचरंगा अचार के अलावा पानीपत की हथकरघे की बनी वस्तुएं और कालीन विश्व भर में प्रसिद्ध हैं।
जुलाई, 1991 से अब तक 13,914 औद्योगिकी उ़द्यमी ज्ञापन जमा किए गए जिनमें से 2,274 ज्ञापन लागू कर दिए गए हैं। इससे मई, 2008 तक 24,034 करोड़ रुपए का निवेश हुआ और 4,02,129 लोगों को रोजगार मिला। नई औद्योगिक नीति के परिणामस्वरूप विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने के 100 प्रस्ताव राज्य को मिले हैं जिसके अनुसार औद्योगिकी ढाचे पर 2 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन के बाद कई हजार करोड़ रुपए का औद्योंगिकी निवेश और हजारों लोगो को रोजगार मिलेगा। राज्य सरकार गुड़गांव में आईएमटी मानेसर के विस्तार के अलावा खरखोदा, फरीदाबाद, रोहतक और जगाधरी में औ़द्योगिकी आदर्श नगर विकसित कर रही है। पानीपत में 33,000 करोड़ रुपए के निवेश से पैट्रो-रसायन केंद्र स्थापित कर लिया है। 2,000 करोड़ रुपए की लागत से कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस राजमार्ग विकसित किया जा रहा है। इससे राजमार्ग के आसपास अनेक आर्थिक केंद्र बनेंगे जिससे औद्योगिक और सेवा क्षेत्र में निवेश के अनेक अवसर उपलब्ध होंगे।
हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास निगम और हरियाणा नगर विकास प्रधिकरण द्वारा विकसित औद्योगिकी संपदाओ में भूमि आवंटन हेतु उद्योगों की बहुत मांग है। वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 98 बड़ी और मझोंली तथा 7,683 लघु औद्योगिक इकाइयां स्थापित हुई हैं जिन पर 2,744 करोड़ रुपए का निवेश हुआ 1,25747 लोगो को रोजगार मिला है। इसके अलावा अनेक औद्योगिक इकाइयों का विस्तार किया गया है जिसके फलस्वरूत 35,000 करोड़ रुपए से अधिक का नया निवेश हुआ है। हाल ही में भारतीय तेल निगम ने पानीपत में 5,000 करोड़ रुपए के निवेश से पैरेक्सीलीन/पीटीए की स्थापना की है। मारूति उद्योग, हीरो हौंडा और अनेक ऑटोमोबाइल उद्योगों में विस्तार हुआ है जिन पर लगभग 10,000 करोड़ रुपए की लागत आई है। इस समय औद्योगिक क्षेत्र में 70,000 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्तावों को क्रियान्वित किया जा रहा है।
सिंचाई
पूरे राज्य में सिंचाई और पेयजल के समान वितरण के लिए सरकार 354 करोड़ रुपए की लागत की 109 किलोमीटर लंबी विशाल नहर भाखड़ा मुख्य नहर-हांसी शाखा-बुटाना शाखा बहुद्देशीय संपर्क नहर का निर्माण कर रही है।
मानसून के मौसम में यमुना नदी के अतिरिक्त पानी को इस्तेमाल करने के लिए 267 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाली दादपुर-शाहाबाद-वाल्वी नहर परियोजना शुरू की है। इसके तहत यमुना नगर, अंबाला और कुरूक्षेत्र में पड़ने वाले 92,532 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई और भूजल रिचार्ज सुविधाओं के लिए 590 क्यूसेक अतिरिक्त जल का उपयोग किया जाएगा।
सरकार ने घग्घर और इसकी सहायक नदियों पर चार कम ऊंचाई के बांध – कौशल्या बांध , दंग्राना बांध, दीवानवाला बांध और छामला बांध – परियोजनाओं को स्वीकृति प्रदान की है| इन पर क्रमशः 180 करोड, 63.69 करोड, 132.70 करोड़ तथा 20.41 करोड़ रुपयों की लागत आएगी और इससे न केवल मानसून में पानी के बेकार बहने को रोका जा सकेगा बल्कि बाढ़ से संपत्ति को होने वाला नुकसान भी रोका जा सकेगा |
बिजली
हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है जहां 1970 में सभी गांवों में बिजली दी गई थी। सन 1966 में राज्य में राज्य में 20,000 नलकूप थे जिनकी संख्या मार्च 2008 में बढ़कर 4.51 लाख हो गई है। बिजली की औसत दैनिक उपलब्धता 2007-08 में 7.23 करोड़ यूनिट हो गई है। बिजली उपभोक्तओं की संख्या 2007-08 में 42.70 लाख हो गई है 31 मार्च, 2009 तक बिजली स्थापित उत्पादन क्षमता 4,636.23 मेगावाट थी।
परिवहन
सड़कें: सड़कें हरियाणा में सभी गांव पक्की सड़कों से जुड़े हैं। राज्य में सड़कों की कुल लंबाई 34,772 किलोमीटर है।
रेलवे: कालका, अंबाला, कुरूक्षेत्र, रोहतक, जींद, हिसार, अंबाला, पानीपत और जखाल यहां के प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से है। जगाधारी शहर में रेलवे की एक वर्कशॉप है।
उड्डयन: हरियाणा में असैनिक हवाई अड्डे-हिसार, करनाल, पिंजौर, नारनौल और भिवानी में हैं।
पर्यटन स्थल
हरियाणा सूरज कुंड मेला
पर्यटन स्थल हरियाणा में 44 पर्यटक परिसर हैं। प्रमुख पर्यटन केंद्रों मं ब्लू जे (समालखा), स्काईलार्क (पानीपत), चक्रवर्ती झील और ओएसिस (उचाना), पराकीट (पीप्ली), किंगफिशर (अंबाला), मैगपाई (फरीदाबाद), दबचिक (होडल), जंगल बबलर (धारूहेड़ा), रेड विशप (पंचकुला) और बड़खल झील, सुल्तानपुर पक्षी विहार (सुल्तानुपर, गुड़गांव), दमदमा (गुड़गांव) और चीड़ वन के लिए प्रसिद्ध मोरनी हिल्स पर्यटकों के रूचि के कुछ अन्य केंद्र है। सूरजकुंड का विश्वप्रसिद्ध शिल्प मेला हर वर्ष फरवरी में आयोजित किया जाता है। इसी तरह पिंजौर की प्राचीन विरासत को बढ़ावा देने के लिए पिंजौर विरासत उत्सव प्रतिवर्ष बनाया जाता है।