कैथल जिले के बारे में

कैथल



  • हरियाणा कि छोटी काशी
  • कपिल मुनि की नगरी
स्थापना:- 1 नवंबर 1989
  • मुख्यालय – कैथल
  • उपमंडल – कैथल, गुहला, कलायत
  • तहसील – कैथल, गुहला, कलायत फतेहपुरपुंडरी
  • उप-तहसील – राजौंद, ढांड, सीवन
  • खंड – गुहला स्थिति चीका, कैथल, पुंडरी, कलायत, राजौंद, सीवन
इतिहास
जिले को 1 नवंबर 1989 को कुरुक्षेत्र जिले से काटकर बनाया गया था। ऐसा माना जाता है कि कैथल का नाम यजुर्वेद कथा संहिता के रचयिता कपिल ऋषि के नाम पर पड़ा होगा। कैथल-करनाल मार्ग पर स्थित मुंदड़ी गांव में लव-कुश महातीर्थ के कारण भी कैथल की एक अलग पहचान है।

राधा कृष्ण सनातन धर्म कॉलेज
यह कालेज कैथल का सबसे पुराना कॉलेज है। जो सन् 1954 में स्थापित हुआ था। इसके अलावा यहां की राष्ट्रीय विद्या समिति ने सन 1970 में महिलाओं के लिए इंदिरा गांधी महिला महाविद्यालय की भी नीव रखी।

महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल
रजिया सुल्तान का मकबरा
कैथल नगर के निकट पश्चिम दिशा में संगरुर रोड पर भारत की समरा्ज्ञी रजिया सुल्तान का मकबरा है। इल्तुतमिश की पुत्री रजिया और उसके पति का कत्ल उसी के सरदारों के द्वारा कैथल के निकट कर दिया गया था।

नवग्रह कुंड
कैथल की पुरातन तीर्थों में नवग्रह कुंडों का विशेष महत्व है। महाभारत के समय भगवान श्रीकृष्ण ने नवग्रह यज्ञ का अनुष्ठान धर्मराज युधिष्ठिर के हाथों से करवाकर नवग्रह कुंड का निर्माण करवाया था। इन कुंडों में स्नान के महत्व के कारण कैथल को छोटी काशी भी कहा जाता है।
यह नवग्रह कुंड ईस प्रकार से हैं –
  1. सूर्य कुंड,
  2. चंद्र कुंड,
  3. मंगल कुंड,
  4. बुध कुंड,
  5. बृहस्पति कुंड,
  6. शुकर् कुंड,
  7. शनि कुंड,
  8. राहु कुंड और
  9. केतु कुंड
 ग्यारह रुद्री शिव मंदिर
इस मंदिर में महाभारत काल में अर्जुन ने शिव को प्रसन्न कर उनसे पाशुपतास्त्र प्राप्त किया था। इस मंदिर के वर्तमान भवनों का निर्माण लगभग 250 वर्ष पहले तत्कालिक शासक उदय सिंह की पत्नी ने करवाया था।
अंबकेश्वर महादेव मंदिर
कैथल में स्थिति अबंकेश्वर महादेव मंदिर की गिनती अति प्राचीन मंदिरों में की जाती है। यहां स्थित शिव लिंग को पातालेश्वर और स्वयं लिंग भी कहा जाता है।
 मीरा नौबाहर पीर की मजार, गुहला चीका
गुहला चीका बाबा मीरां नौबहार पीर की मजार 960 वर्ष पुरानी बताई जाती है। बाबा मीरां के आठ भाई थे, जिनमें बाबा मीरां सबसे बड़े थे, जिस कारण से ईन्हें बड़ा पिर भी कहा जाता है।
 पुंडरीक सरोवर
इसका नाम पुंडरीक ऋषि, जिनकी यह तपस्थली मानी जाती है उसी के नाम पर पड़ा है। पुडरीक तीर्थ के पावन तट पर नवीकृत नवग्रह कुंड का निर्माण करवा कर 28 मई सन 1987 को ईसे जनता को समर्पित कर दिया गया।
  • 1)गुरुद्वारा नीम साहिब
  • 2)गुरुद्वारा मंजी साहिब
गीता मंदिर
पुंडरीक तीर्थ पर जाते समय मरदाने घाट के साथ बने विशाल चबूतरे के पास ही यह विशाल गीता मंदिर स्थित है।
नदियां – यहां की प्रमुख नदियां हैं – सरस्वती और घग्घर
नेशनल हाईवे – नेशनल हाईवे 65 हरियाणा के कैथल जिले से होकर गुजरता है