झज्जर जिले के बारे में

झज्जर


स्थापना – 15 जुलाई 1997
मुख्यालय – झज्जर
उप-मंडल  – झज्जर, बेरी, व बहादुरगढ़।
तहसील – झज्जर, बहादुरगढ़, मातनहेल व बेरी।
उप-तहसील – साल्हावास
खंड – झज्जर, बहादुरगढ़, बेरी, मातनहेल व साल्हावास।

प्रमुख उद्योग
  1. मशीन उपकरण
  2. ऑटोमोबाइल पार्ट्स
  3. डीजल इंजन
  4. ग्लास इक्यूपमेंट इंडिया लिमिटेड
  5. रिलेक्सो फुटवियर लिमिटेड
  6. सूर्या रोशनी लिमिटेड
  7. पारले बिस्कुट लिमिटेड
  8. श्री कृष्ण पेपर मिल्स एंड प्राइवेट लिमिटेड
  9. स्टील पाइप स्ट्रिप्स लिमिटेड
इतिहास
झाज्झू अथवा झोझ गहलावत व्यक्ति के अनुरोध पर गौरी ने झज्जर शहर को बसाया। सन् 1959 में बना झज्जर का पुरातात्विक संग्रहालय हरियाणा के मुख्य संग्रहालयों में से एक है। झज्जर शहर से 15 किलोमीटर की दूरी पर बना भिंडावास कांपलेक्स पर्यटक स्थल के रूप में विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
महत्वपूर्ण स्थल
गुरुकुल झज्जर पुरातात्विक संग्रहालय:- वर्ष 1959 में आचार्य भगवान देव उर्फ स्वामी ओमानंद सरस्वती ने झज्जर में पुरातात्विक महत्व के संग्रहालय का श्रीगणेश किया। 427 तामर्पत्रों पर खुदवाई करके लिखे गए स्वामी दयानंद रचित संपूर्ण सत्यार्थ प्रकाश इस संग्रहालय की एक अनूठी और दुर्लभ कृति है। गुरुकुल झज्जर की स्थापना 16 मई सन 1915 को महाशय बिशंभरदास, स्वामी परमानंद और स्वामी ब्रम्हानंद के द्वारा की गई थी।
गौरेया पर्यटक स्थल:- राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर बहादुरगढ़ में गौरेया पर्यटक स्थल स्थापित किया गया है।
कांच की मस्जिद:– रोहतक से 22 किलोमीटर दूर झज्जर मार्ग पर स्थित ग्राम दुजाना में निर्मित यह प्राचीन मस्जिद है। आज से लगभग 200 साल पहले सयद हाफिजुद्दीन नामक एक काजी ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था।
भिंडावास पक्षी विहार:- भिंडावास पक्षी विहार झज्जर से लगभग 15 किलोमीटर दूर पहल गांव में स्थित है। यहां पर देश-विदेश से 250 से भी अधिक परकार के पक्षि आते हैं।
निराचा धाम बेरी:- जिला झज्जर के कस्बा बेरी के पूर्वोत्तर में स्थित निराचा धाम का बड़ा महत्व है। इसे बाबा भगवान दास आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
डीघल गांव का शिवालय:- यहां पर डीघल में प्राचीन शिवालय स्थित है। इस मंदिर का निर्माण कार्य साहूकार लाला धनीराम ने प्रारंभ करवाया था। एक ऊंची चौटी पर नागर शैली में बने शिवालय को बनाने के लिए ब्रह्माभाग, विष्णुभाग तथा सबसे ऊपर शिव भाग की कल्पना की गई ।
बेरी का रूढमल मंदिर:- बेरी में अनेक प्राचीन मंदिर स्थित हैं। इनमें रूढमल मंदिर प्रसिद्ध है। इस मंदिर के चारों ओर 24 अवतारों के शिल्प बनाए गए हैं। इस मंदिर का निर्माण 1892 में लाला रूडमल, सूरजभान और गिरधारीलाल नामक तीन भाइयों ने करवाया था।
भीमेश्वरी देवी का मंदिर:- यह महाभारत के काल का मंदिर है। बेरी गांव में स्थापित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए देश-विदेश से पर्यटक भी यहां पर आते हैं।
बुआ का गुंबद:- झज्जर में स्थित इस गुंबद का निर्माण मुस्तफा कलोल की बेटी बुआ ने करवाया था। गुंबद के पास एक तालाब का निर्माण भी किया गया है।
बहादुरगढ़:- पहले यह सराफाबाद के नाम से जाना जाता था। सन 1757 में यह जागीर, बहादुर खान पठान को दे दी गई थी। बहादुर खान ने यहां पर 40 साल तक शासन किया। सन 1865 में बहादुरगढ़ में लाला भगवान दास ने एक तालाब का निर्माण भी यहां पर करवाया था।
बेरी:- बेरी को एक बिरदो नाम के कानूनगो ने बसाया था। बेरी को धनाढ्य लोगों का शहर कहा जाता था। बेरी में दो भिषण लड़ाइयां लड़ी गई थी।
  • प्रथम लड़ाई सन 1794 में जाटों और जॉर्ज थॉमस के मध्य लड़ी गई थी। तब जाकर उन्हे झज्जर की आमिलदारी मिली थी। यह लड़ाई जार्ज ने जीती थी।
  • दूसरी लड़ाई उसने सीखो और मराठों की संयुक्त सेना के विरुद्ध सन 1801 मे लड़ी थी।
  • हरियाणा के प्रथम मुख्यमंत्री पंडित भगवत दयाल शर्मा और भारत सरकार के पूर्व रक्षा मंत्री प्रोफेसर शेर सिंह ने बेरी के राजकीय हाई स्कूल में शिक्षा ग्रहण की थी।