सिरसा जिले के बारे में

सिरसा



स्थापना – 26 अगस्त 1975
  • उप-मंडल –  सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, कालाँवाली।
  • तहसील – सिरसा, डबवाली, ऐलनाबाद, रानिया, नाथूसारी, चौपटा।
  • उप-तहसील – कलाँवाली, गोरीवाली।
  • खंड – सिरसा, डबवाली, बढा गुंढा, ऐलनाबाद, रानिया, ओढ़ा, नाथूसारी, चौपटा।
इतिहास
सिरसा एक प्राचीन नगर है, जो बठिंडा-रेवाड़ी रेल मार्ग पर दिल्ली-फाजिल्का राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 10 पर स्थित है। सिरसा पहले हिसार जिले का एक हिस्सा हुआ करता था जो सन 1975 में अलग करके नया जिला बनाया गया और ईस परकार 1 सितंबर 1975 को सिरसा पृथक जिले के रूप में अस्तित्व में आया। सिरसा का प्राचीन नाम सिरशुति और कुछ स्थानों पर सिरसिका लिखा पाया गया है। पाणिनी की अष्टाध्याई में भी सिरसिका नगर का वर्णन है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि सन 1357 ईस्वी में राजा सारस ने इस नगर को बसाया था। उस समय इस नगर का नाम सारस अथवा सरस्वती नगर होता था। सन 1330 में मुल्तान से चलकर दिल्ली आए प्रसिद्ध अरबी यात्री इब्नबतूता ने भी सिरसुती नगर में पडाव करने का वर्णन किया है। मोहम्मद गजनवी के आक्रमण का भी यह नगर शिकार रहा था।

ऐलनाबाद
1863 में घग्गर नदी में बाढ़ आ जाने से यह गांव जलमग्न हो गया। सिरसा के तत्कालीन उपायुक्त जे.एच. आलीवर ने ऊंचे स्थान पर नया कस्बा बसाया और अपनी पत्नी ऐलना के नाम पर इसका नाम ऐलनाबाद रख दिया। यह एक प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र भी रहा है। आज भी यहां कपास, चना, गेहूं और धान की प्रसिद्ध मंडी विद्यमान है।

मंडी डबवाली
यह सिरसा से 60 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में दिल्ली-फजिल्का राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। यह हरियाणा पंजाब की सीमा पर स्थित है और इसका कुछ भाग पंजाब में भी पड़ता है, जिसे कल्यांवाली मंडी के नाम से भी जाना जाता है। इस क्षेत्र में डाभ या दूभ (जो कि एक प्रकार की घास है) की अधिकता होने के कारण इसका नाम दूबवाली अथवा डाभवाली पड़ा, जो कि कालाअंतर में चेंज होकर डबवाली हो गया।

महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल
श्री बाबा तारा जी की कुटिया
सिरसा शहर में रानियां रोड पर श्री बाबा तारा जी की कुटिया स्थापित है। इस कुटिया का निर्माण सिरसा के गोविंद कांडा और गोपाल कांडा नामक दो भाइयों ने करवाया है। कुटिया का मुख्य आकर्षण केंद्र 71 फुट ऊंचा शिवालय है।

दादी सती मंदिर
सिरसा जिले के गांव कुमारिया में स्थित दसकों पुराना दादी सती का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दादी सती कि यहां विशेष रुप से पूजा की जाती है।

डेरा सच्चा सौदा
सन् 1948 में संत शाह मस्ताना ने सिरसा नगर में बेगू रोड पर डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की थी। संत राम रहीम गुरमीत सिंह वर्तमान में इस डेरे के प्रमुख हैं।

गुरुद्वारा चोर-मार शहिदां
सिरसा जिले के गांव चोर-मार में स्थित गुरुद्वारा चोर-मार शहिदां भी हरियाणा में आए उन साधु संतों की याद तो दिलाता ही है जो अपनी राह से भटके लोगों को समझाने के लिए हरियाणा आए थे, साथ ही यह गांव उन लोगों के लिए भी जाना जाता है जो राहीगीरों से धन आदि लूटने वालों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गए थे। उन्ही की याद में सिरसा-डबवाली रोड पर स्थित इस गुरुद्वारे को चोर-मार शहिदां नाम से दूर-दूर तक जाना जाता है।

डेरा बाबा भूमण शाह, संगर साधां
कंबोज समाज का धार्मिक स्थल डेरा बाबा भूमण शाह हिसार रोड पर सिरसा से 17 किलोमीटर और वहां से 3 किलोमीटर उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित है। इस डेरा की स्थापना करीब 300 साल पहले पाकिस्तान के जिला ओकांडा, तहसील देपालपुर में स्थित गांव कोट कुतुबगड में हुई। ईसके संस्थापक संत भूमण साह का जन्म 1687 ईस्वी में हुआ था। पिता का नाम चौधरी हस्साराम तथा माता का नाम रज्जोबाई था, और बचपन का नाम भूमिया था।
1)साईं नाथ का प्रसिद्ध मंदिर भी यहीं पर स्थित मंदिर है।
2)हरियाणा का सबसे कम जनसंख्या घनत्व वाला जिला भी सिरसा ही है।
3)चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय भी यहीं पर स्थित है।
चौधरी देवीलाल
हरियाणा के प्रसिद्ध मंत्री चौधरी देवीलाल यही से संबंध रखते हैं और चौधरी देवीलाल भारत के उप-प्रधान मंत्री भी रह चुके हैं।
  • 1)प्रमुख नदी – घग्गर
  • 2)नेशनल हाईवे – 10
  • 3)यहां पर भाखड़ा नहर द्वारा भी सिंचाई की जाती है।