करनाल जिले के बारे में

करनाल



  • हरियाणा का पेरिस
  • धान का कटोरा
इतिहास – 
करनाल का प्राचीन नाम “करणलय” हुआ करता था I 1739 में नादिरशाह की मोहम्मद शाह के खिलाफ जीत के बाद यह शहर सुर्खियों में आया I जींद के राजा ने 1763 मैं इस शहर को अपने कब्जे में किया और 1797 ईस्वी को जारज थामस ने इस पर अपना अधिकार जमा लिया
प्राचीन समय में अंबाला और करना अलग जिले नहीं थे तो उस समय 1841 ईस्वी में अंग्रेजों ने यहां पर अपने सैनिक छावनी भी बनाई थी, लेकिन यहां पर मलेरिया फैलने के कारण वह इस शहर को छोड़कर चले गए थे I
इसके आसपास पानीपत, कैथल, और कुरुक्षेत्र की सीमा लगती है और पूर्व में उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है, जिसके साथ साथ यमुना नदी बहती है I
करनाल में बड़े और मध्यम उद्योग भी काफी फेमस है जैसे लिबर्टी शूज लिमिटेड, फुटवियर लिबर्टी एंटरप्राइजेज, चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट आदि I
सैनिक स्कूल कुंजपुरा भी इसी जिले में स्थित है I इस स्कूल को सन 1961 में स्थापित किया गया था I
इसके अलावा यहां पर अनेक पॉलिटेक्निक संस्थाएं , और अनेक अनुसंधान संस्थान और इंस्टिट्यूट भी स्थित है I
करनाल को हरियाणा का पेरिस भी कहा जाता है, हरियाणा का धान का कटोरा भी करनाल को ही बोला जाता है
उपमंडल – करनाल, असंध, इंद्री
तहसील – करनाल, असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री, घरौंडा
उप-तहसील – निसिंग, बल्ला व निगंधु
खंड – घरौंडा, इंद्री, करनाल, नीलाखेड़ी, चिड़ियाओं व असंध
प्रसिद्ध स्थल
असंध – ऐसा माना जाता है कि असंद का प्राचीन नाम असंधिवत था I बाद में इसका नाम चेंज होकर असंध पड़ गया और एक और अवधारणा यह भी है कि पहले यह असंध राजा परीक्षित की राजधानी हुआ करती थी I
घरौंडा – 1739 तक यह क्षेत्र दिल्ली द्वारा नियुक्त करनाल के आमिल के अधीन रहा था I सन 1739 से 1783 तक सरहिंद के सूबेदार जिनखां का इस पर नियंत्रण रहा I इसके बाद सन 1789 तक जींद के राजा गजपत सिंह का इस पर अधिकार रहा था I
इंद्री – सन 1761 में मराठों पर विजय पाने के बाद अब्दाली ने निजाबत खां के पुत्र दिलेरखान द्वारा प्रदत सहायता से खुश होकर उसे पुनः कुंजपुरा का नवाब बना दिया और उसकी रियासत में 150 गावों को शामिल किया गया था I जिसमें इंद्री एक मुख्य गाव था । उसके बाद यह कस्बा नवाब गुलशेर खान के अधीन रहा और इसके पश्चात यह रहमतखा ने इसका शासन संभाला और 1803 में अंग्रेजो की अधीनता स्वीकार कर ली
यहां पर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कच्ची समाधि स्थित है I यह स्थल बाबा सिमरण दास की दशकों पुरानी कच्ची समाधि है जो शुरूवाती समय से आज तक भी कच्ची ही है I
तरावड़ी – मोहम्मद गोरी ने सन् 1191 में हिंदुस्तान पर पहला आक्रमण किया था I जिसका मुकाबला दिल्ली में अजमेर के शासक पृथ्वीराज चौहान ने तरावड़ी के मैदान में किया था I इसे तरावड़ी यानिकी तराइन की पहली लड़ाई के नाम से भी जाना जाता है I इस लड़ाई में मोहम्मद गौरी जख्मी होकर वापिस अफगानिस्तान भाग गया था तथा अगले वर्ष 1192 ईस्वी में मोहम्मद गोरी ने पूरी तैयारी के साथ पुनः आक्रमण किया और सेना एक बार फिर से तरावड़ी के मैदान में ही भिड़ी और इस बार मोहम्मद गौरी की विजय हुई I
इसके अलावा तरावड़ी विश्व में अपनी कसम के सर्वोत्तम बासमती चावल के लिए विख्यात है
नीलाखेड़ी – इस कस्बे की स्थापना सन 1947 में विस्थापितों के पुनर्वास हेतू की गई थी I नीलाखेड़ी में राजकीय बहुतकनीकी संस्थान (पॉलिटेक्निक) स्थित है, इसलिए यह काफी फेमस है I इसके अलावा यहां पर वर्ष 1990 में हरियाणा ग्रामीण विकास संस्थान की स्थापना की गई थी I इन परियोजनाओं में सफल गांव को आदर्श गांव घोषित किया जाता है I
प्रमुख पॉलिटेक्निक संस्थाएं – 
1)राजकीय बहुतकनीकी संस्थान, नीलोखेड़ी
2)ग्रीनवुड बहुतकनीकी कॉलेज, रणवार
3)एस.एस. बहुतकनीकी कॉलेज, नेहवाल
4)टेक्नो-अपेक्स पॉलिटेक्निक, ग्राम-गोरखगड, इंद्री
प्रमुख पुस्तकालय – 
1)पुरुषोत्तम पुस्तकालय, 1978
2)प्रजापत पुस्तकालय, 1966
3)जिला पुस्तकालय, 1985
4)शहीद भगत सिंह पुस्तकालय, 2006
5)पाश पुस्तकालय
प्रमुख रेडियो स्टेशन – 
1)रेडियो धमाल और
2)रेडियो मंत्रा यहां पर स्थित है
महत्वपूर्ण संस्थान – 
राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान – राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल की स्थापना मूल रूप से इंपीरियल इंस्टिट्यूट ऑफ एनिमल हसबेंडरी एंड डेयरिंग के रूप में बेंगलुरु में सन 1923 में हुई थी I वर्ष 1936 में उसका समुचित विस्तार कर इसे इंपीरियल डेरी संस्थान का नाम दिया गया था तथा सन 1947 में स्वतंत्रता के पश्चात राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान का मुख्यालय इसके वर्तमान स्थान करनाल में स्थानांतरित कर दिया गया I
गेहूं शोध निदेशालय – सन 1965 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अर्थात आई.सी.ए.आर. ने “सर्वभारतीय संबंधित समन्यवक गेहूं सुधार परियोजना” की शुरूआत की, परंतु वर्ष 1978 में इस परियोजना को “गेहूं शोध निदेशालय” में परिवर्तित कर दिया गया I
केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान – कृषि योग्य जमीन से लवणता दूर करने की दिशा में “केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान” की स्थापना की गई I इस संस्थान का मुख्यालय करनाल के जरिफा वीरा गांव में काछवा रोड पर स्थित है I
करनाल स्थित मुख्यालय के अलावा संस्थान के अधीन तीन क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र भी हैं I ये केंद्र हैं – केनिंग टाउन (पश्चिम बंगाल), भरूच (गुजरात), लखनऊ (उत्तर प्रदेश) I
इस अनुसंधान संस्थान की स्थापना के लिए एक “इंडो-अमेरिकन जल प्रबंधन विशेषज्ञ समिति” के द्वारा सिफारिश की गई थी I
मधुबन पुलिस प्रशिक्षण परिषद – राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर एक पर करनाल से 8 किलोमीटर दूर पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय स्थित है I यहां पर हरियाणा पुलिस की ट्रेनिंग दी जाती है I
माता प्रकाश कौर मुक, बधिर एवं वाणी विकलांग केंद्र – यह केंद्र गूंगे व बहरे बच्चों को शिक्षित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभा रहा है I यहां पर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 22 अगस्त 2002 को हरियाणा के मुख्यमंत्री ने छात्रावास का शिलान्यास किया था I
महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल
कर्ण तलाब –  राजा दुर्योधन के परम मित्र और सूर्य के पुत्र राजा कर्ण के नाम पर यह “करण तालाब” यहां पर स्थापित किया गया था I
देवी मंदिर, सालवन – करनाल जिले के गांव सालवन को मेलों का गांव भी माना जाता है I इस गांव में महाराजा युधिष्ठिर ने दशाश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया था I यह गांव कभी राजा शालिवान की राजधानी हुआ करता था  I
मामा-भांजा मुगलसराय, घरौंडा – यह सराय दिल्ली-लाहौर मार्ग पर घरौंडा में 1632 ईस्वी में सम्राट शाहजहां के शासनकाल में खान फिरोज ने विश्रामगृह के रूप में बनवाई थी I भारत सरकार की अधिसूचना के तहत इसे 1 दिसंबर 1914 को राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है I
कर्ण झील तथा ओयसिस – करनाल में पर्यटन विभाग ने शेरशाह सूरी मार्ग पर अंबाला की ओर लगभग 4 किलोमीटर दूर पश्चिमी यमुना नहर के दोनों और लगभग 60 कनाल भूमि पर “कर्ण झील” तथा “ओयसिस” नामक पर्यटक स्थल विकसित किए हैं I  
सेंट जेम्स चर्च टावर – यह करनाल की एक पराचीन प्राचीन एतिहासिक धरोहर है I इस टावर का निर्माण 1806 ईस्वी में हुआ था I उस समय करनाल ब्रिटिश सैनिक छावनी का हिससा हुआ करता था I
सीतामाई सीमागढ़ का मंदिर – 14 वर्ष वनवास के बाद भगवान राम के आदेश पर लक्ष्मण ने सीता को जिस जंगल में छोड़ा था उसका नाम “लाडबन” था I उस जंगल की पश्चिम दिशा में महर्षि वाल्मीकि आश्रम था, जहां सीता अपने वनवास के दौरान रह रही थी I एसा माना जाता है कि इसी स्थान पर सीता जमीन में समा गई थी I आज उसी स्थान पर “सीतामाई मंदिर” निर्मित किया गया है I
माता बाला सुंदरी मंदिर बड़ा गांव – करनाल जिले के बड़ा गांव में माता बाला सुंदरी मंदिर स्थित है I
निर्मल कुटिया – बाबा निक्का सिंह महाराज स्वंम छोटी कुटिया में रह कर कई लोगों की सेवा सहायता किया करते थे I बाबा के ब्रह्मालीन होने के बाद वर्ष 1960 में बाबा की याद में उनके अनुयायियों ने उनकी कुटिया को “निर्मल कुटिया” के नाम से नवाजा और यहां पर इस कुटिया की स्थापना कर दी गई I
गांधी मेमोरियल हॉल – महारानी विक्टोरिया की याद में बने इस हाल का नाम स्वतंत्रता के बाद महात्मा गांधी के नाम पर रख दिया गया I
दरगाह कलंदर शाह – इसका निर्माण अलाउद्दीन खिलजी के सुपुत्र खिजान खान और शादी खान द्वारा कराया गया था I बू अली शाह कलंदर, सालार फकिरूदिन का पुत्र था और अनुमान है कि उनका जन्म सन 1190 ईसवी में हुआ था I
अटल पार्क – करनाल शहर के सौंदर्यकरण हेतु सेक्टर 7 और 8 में लगभग 56 एकड़ क्षेत्र में निर्मित किया गया है I
तरावड़ी – मध्यकाल में 1191 वह 1192 ईस्वी में मोहम्मद गोरी व पृथ्वीराज चौहान के मध्य तराइन का प्रथम व द्वितीय युद्ध ईसी तरावड़ी क्षेत्र में हुआ था I
कंचनपुर – कंचनपुर करनाल से उत्तर-पूर्व दिशा में 6 मील की दूरी पर स्थित है I इसकी स्थापना पठान शासक निजामत खान ने की थी I उन्ही की याद में एक जलाशय का निर्माण भी यहां पर किया गया है
वस्तती – यह गांव करनाल-कैथल मार्ग पर स्थित है I महर्षि वेदव्यास का आश्रम भी यहीं पर स्थित है I उन्होंने यही पर बैठकर महाभारत की रचना की थी I
अदिति का मंदिर – यह मंदिर करनाल जिले के अमीन गांव में स्थित है I इसी स्थान पर आदिति ने सूर्य को जन्म देने के पूर्व तपस्या की थी I